क्या आपने कभी सोचा की हमारे जीवन की डोर ईश्वर के अलावा कौन संभाले है, मेरे हिसाब से वोह है असली सिपाही जो पहिये के पीछे है जो हमारी अर्थव्यवस्था की भी धड़कन है.
आजकल सबलोग, सर्वस्त्र, व्यस्तता की दौड़ मे मशगूल है, पर क्या हम कभी अपने ट्रक चालकों के बारे मे सोचते है? कभी जब आप हाईवे से गुजर रहे हो तो कभी ध्यान दिया हो की किन हालतों मे हमारे ट्रक चालक किन परिस्थिति मे ट्रक चलाते है तथा गंतव्य स्थान पर सामान पहुचाते है, हमारी अर्थव्यवस्था को सुस्थापित करते है, यहाँ तक की हमारे GST को भी सुगाठित रखने के प्रयास मे हमेशा अग्रसर रहते है. तत्कालीन दिनों मे ग्लूकोस क्लब (GC) परिवार ने एक नया कदम उठाया है जो ट्रक भाइयो की जिंदगी एवं उनके कठिन रास्तों को ज़रा सुखमय एवं एक आदरपूर्ण दृष्टिकोण हम अपना सके, आखिर वोह भी इंसान हैं, तपती धुप हो या मूसलाधार बारिश, वह चलते है सैकड़ो, हजारो मील चाहते या ना चाहते हुए, असीम सड़के पाटते हुए, बिना किसी खतरे के परवाह किये हुए, जान झोखिम मे डालते हुए, अपने स्वस्थ एवं परिवार जनों की चिंता किये बिना वह एक वीर की तरह सड़क का सीना चीरते हुए आगे बढते है जिस कारण अविश्वसनीय भीषण परिस्थितियां भी उनके अनुकूल होने पर मजबूर होती है.
उनके भी परिवार है, बच्चे है, त्योहार है, मातम है, क्या हम जब दीपोस्तव के दीप या होली का अबीर लगाते है क्या एक क्षण के लिए भी उनको स्मरण करते है या उनके साथ हम मिठाई बाटते है, दो मीठे बोल भी नही, कारण क्या उन्हें मनुष्य का दर्जा देना भी अपराध है ? या यूँ कहे कि हम अत्याधिक व्यस्त है ? और इस व्यस्तता के कारण हम मात्र मूषक बन कर रह गए है क्योकि हम शब्द दर शब्द अंग्रेजी दो शब्द ‘Rat Race’ का अनुकरण कर रहे है, शेर बनना मात्र एक अपुण अभिलाषा मात्र रह गई है, हमारी व्यस्तता उन ऊचाईयो को छु रही है जहा हमने सारी दुनिया को फेसबुक और व्हात्सप्प तक सिमित किया है, हमारे पढ़ोसी से हम अनिभिग्य है तो क्या हुआ हम सोशल मीडिया मे एक्टिव है, बढ़ो को प्रणाम या बच्चो को प्यार और आशिर्वाद वर्चुअल दुनिया मे ही निपटा देते है, चलिए कोई बात नही इसे समय की मांग कहे या तकाज़ा बात पर्याय ही है पर प्रशन यह है की हम कुछ पलों के लिए ही सही अलग या भीड़ से हटकर शेर की तरह नही सोच सकते कि पूरी पृथ्वी एक संयुक्त परिवार है उसके अंतर्गत हम अपना जन्मदिवस या कोई पर्व उनके साथ मनाए जो हमारे लिए निस्वार्थ भावना से कार्य करते हुई जीवन को सरल, सुफल बनाते हुए देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कर रहे है तब ना होगी शेर वाली बात.