सामन्यता इस शब्द का अर्थ सभी को ज्ञात होता है पर क्या हम इस शब्द का अनुकरण करने में सफल एवं सक्षम है ? क्या हम सभी को इस शब्द का अर्थ एवं अभिप्राय की महत्वता का ज्ञान है ? या सिर्फ अपने घर के आंगन को साफ करने तक सिमित रह गया है और हाँ वह कूड़ा भी किसी और के आंगन में फेंकने की या किसी और के प्लाट में फेकने की या आसपास किसी रिक्त जमीन पर फेकने की बहुचर्चित पुरानी परंपरा है , और फिर हम निश्चिन्त होते है की हमने सफल नागरिक होने का कर्तव्य निभाया है , और श्री नरेन्द्र मोदीजी के सफाई अभियान में बढचढ कर हिस्सा लेने के लिए अग्रसर हो गए है , यदि एसा है तो हमें मनन और चिंतन करने की आवयश्कता है , सिर्फ झाड़ू लगा लेने ही पर्याप्त नहीं है किसी अभियान को सफल बनाने के लिए अव्यश्कता है संपूर्ण स्वाचाता की हमें विशेष ध्यान देना होगा और उसका निराकरण करने की तरफ ठोस कदम उठाने होंगे न की सिर्फ वाक्य चातुर्य तक यह शब्द सिमित रहे या सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाने तक अथवा हम भारतीयों की अवाक् कर देने वाली चेष्टा होती है , हम बड़े सरलता से अपना सारा दोष मंत्रियो और शासन या नगर निगम के माथे पर मढ देने में ही अपनी फतह समझते है और खुद पर गर्व महसूस करते है | बस खुद निस्कर्य होकर चैन की बंसुरी बजाने में ही अपनी जीत का परचम लहराते है और इसी सिलसिले वार प्रक्रिया मै लाखों-करोडो फंडो का आवंटन एवं उसे उतने ही आसानी से हजम कर लिया जाता है जैसे मात्र हवा का एक जौका मात्र या हमे चाहिये की हम जागरूक हो और सख्ती के साथ इस शब्द का अर्थ समझकर इसका प्रयोग करे | सरकार द्वारा सफाई अभियान में दी गए करोडो रुपयो की राशी खर्च हो जाती है और सफाई दिखाई नहीं देती उसका कारण हम खुद है कभी आपने यह सोचा है की जो पैसे सरकार द्वारा हमारे देश में स्व्च्छता अभियान पर खर्च हो रहा है वो कहाँ से आता है ? वो हमारे द्वारा जो टैक्स के साथ 0.3% स्वच्छ भारत सेस के तौर पर हमारे द्वारा दी जाती है , ज़रा ये सोंचे की यदि हम सभी भारतीय यदि अपने आसपास स्वयं सफाई रखते और दूसरो को भी गन्दगी करने से रोकते तो यह स्वच्छ भारत सेस के रूप में टैक्स हमें नहीं देना पड़ता | हमें चाहिए की हम जागरूक होकर और सख्ती के साथ इस शब्द का अर्थ एवं समझकर प्रयोग करे और अपने घरो की दहलीजो के आगे सोचने की भी आवश्यकता पर विशेष जोर देना होगा वही सही अर्थ में प्रगति है |